भाई-भतीजावाद से लेकर इरेक्शन तक, बॉलीवुड के सबसे बोल्ड और कमज़ोर पल- 2017
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भाई-भतीजावाद से लेकर इरेक्शन तक, बॉलीवुड के सबसे बोल्ड और कमज़ोर पल- 2017

बॉलीवुड की फिल्मों, किरदारों, कहानियों और गपशप ने अपनी अलग ही छाप छोड़ी है. 2017 में बॉलीवुड के बेहतरीन और बदतरीन, ए से ज़ेड तक

Illustration by Neera Majumdar

2017 में बॉलीवुड के बेहतरीन और बदतरीन, ए से ज़ेड तक

अ-अनारकली

आरा की बहादुर नारीवादी अनारकली ने हिंदी फिल्मों में ‘मर्जी’ को लेकर सबसे मजबूत संदेश दिया, जब वह अपने पर आक्रमण करने वाले को कहती है, ‘रंडी हो, रंडी से थोड़ा कम हो या बीवी हो, आइंदा मर्जी पूछ कर हाथ लगाइएगा’.

बी- बेल

अक्षय कुमार ने कहा, –आप बेल(घंटी) बजाइए…मैं आपको बजाता हूं’- स्टैंड अप कॉमेडियन मल्लिका दुआ को. उनके शो के सेट्स पर. यह काम की जगह पर सेक्सिज्म का नमूना बना और बड़ा विवाद हुआ, जिसमें अक्षय की पत्नी ट्विंकल भी लपेटे में आ गयीं. बाद में ट्विंकल ने एक आंसूपछाड़ पोस्ट लिख कर मामले को रफा-दफा किया.

सी- सेंसर

इस साल भी. सीबीएफसी ने इस बार फिर अजीब ढंग से काम किया. पूर्व-प्रमुख पहलाज निहलानी को ‘..हैरी मेट सेजल’ में इंटरकोर्स शब्द से आपत्ति थी, ‘लिपस्टिक अंडर माइ बुरखा’ को प्रमाणपत्र मना कर दिया गया क्योंकि उसे ‘नारीवादी’ समझा गया, बोर्ड इस बात पर अड़ा कि निर्देशक सनल कुमार की फिल्म सेक्सी दुर्गा का शीर्षक बदल कर एस दुर्गा (हालांकि, एस दुर्गा को भी अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव से जूरी की मंजूरी मिलने के बावजूद हटा लिया गया) किया जाए. फिल्म उद्योग ने खुशी मनायी जब निहलानी की जगह प्रसून जोशी ने ली, हालांकि कुछ भी बदला सा नहीं लगता है. यहां संदर्भ संजय लीला भंसाली की विवादित ‘पद्मावती’ का है. आखिरी बात हमने सुनी है कि उसे इतिहासविदों का एक पैनल और पूर्व राजपरिवार के वारिस (जी हां, आपने सही सुना) देखकर तय करेगा कि इस देश की जनता उसे देखने लायक है या नहीं? न्यूज़ फ्लैशः पद्मावती को रिलीज की मंजूरी मिली, कुछ शर्तों के साथ। सबसे बड़ा काम तो इसका शीर्षक बदल कर पद्मावत करने का है.

A still from Lipstick Under my Burkha/ Alt Productions

डी- डैडी

करण जौहर ने सरोगेसी से रूही और यश को पाया. सिंगल पैरेंटिंग को और ताकत मिली.

ई- इरेक्शन और एक्सक्रीशन

‘शुभ मंगल सावधान’ और टॉयलेटःएक प्रेम कथा ने प्रेम कहानियों की अंदरूनी पड़ताल की, अब तक शापित समझे विषयों को छुआ. पहले ने जहां इरेक्टाइल डिसफंक्शन को दिखाया, तो दूसरे ने प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को सिनेमा हॉल में बिठा दिया और टॉयलेट (या फिल्म के मुताबिक संडास) की जरूरत को दिखाया.

पुनश्चः ‘शुभ, मंगल, सावधान’ में साल का सबसे मजेदार दृश्य भी है, जहां मां (सीमा पाहवा) अपनी बेटी (भूमि पेडनेकर) से सेक्स की बात करती है और ये अविस्मरणीय डायलॉग बोलती है, ‘औरत का शरीर रहस्य का खजाना होता है. एक बंद गुफा में रहता है और यह गुफा कब खुलती है, पता है? सुहागरात वाले दिन खुलती है और चालीस चोर के लिए नहीं खुलती, सिर्फ अलीबाबा के लिए खुलती है”.

एफ-फेयरनेस यानी गोरापन

अभय देओल ने फेयरनेस क्रीम का प्रचार करनेवाले अपने सहकर्मियों को नाम लेकर लताड़ाः शाहरुख खान, दीपिका पादुकोण, सोनम कपूर, जॉन अब्राहम, विद्या बालन और शाहिद कपूर को’, जब उन्होंने उनके प्रचार को ‘झूठा, नस्ली औऱ अपमानजनक’ करार दिया. सोनम कपूर को छोड़कर किसी ने भी उस पर प्रतिक्रिया नहीं दी, हालांकि बाद में उन्होंने भी अपने ट्वीट डिलीट कर दिया. ये अच्छी बात नहीं, मित्रों.

जी- गंज

कोंकणा सेन शर्मा ने अपनी पहली फिल्म में जादू दिखा दिया। ‘अ डेथ इन द गंज’ ऐसी फिल्म है, जिसे आप एक साथ देखना और उससे भागना भी चाहेंगे. संवेदनशील और कमज़ोर शुतु के रूप में विक्रांत मैसे ने शानदार अभिनय किया है.

एच- हिंटरलैंड एंड हार्टलैंड यानी चलो देश की ओर

हमारी फिल्मों ने मुंबई की लोकल और दिल्ली की गलियो का पीछा छोड़ा औऱ बनारस, बरेली, आरा, छत्तीसगढ़ का रुख किया. यहां तक कि गुरुग्राम (गुड़गांव) भी संकर रमन की फिल्म में एक चरित्र की तरह आया.

आइ- इंडी यानी दिल को जो छू जाए

न्यूटन, ट्रैप्ड, मुक्ति भवन, रिब्बन, करीब करीब सिंगल, लिपस्टिक अंडर माइ बुरखा, हिंदी मीडियम, तू है मेरा संडे इत्यादि फिल्मों ने ‘भारत’ को छुआ और जिया. इन्होंने साबित किया कि बजट के शून्य से नहीं, स्क्रिप्ट की मजबूती से फिल्में बनती हैं.

जे-जैकेट

जब प्रियंका चोपड़ा ने एक टॉक शो पर खुलासा किया कि उनके पास यादगार के तौर पर अपने पूर्व-प्रेमी की जैकेट है, तो उनके फैंस ने उसकी तलाश में जमीन-आसमान एक कर दिया. कुछ तो शाहरुख खान की उसी तरह की जैकेट वाली तस्वीर भी ले आए, जिससे अफवाहें फैलीं कि पीसी शायद उनके ही बारे में बात कर रही थीं.

के- कंगना रनौत

हृतिक रोशन और ब्रेक अप/पीछा/ढोंगी विवाद, करण जौहर औऱ भाई-भतीजावाद विवाद, रानी लक्ष्मी बाई औऱ केतन मेहता विवाद. सिमरन और अपूर्व असरानी के साथ लेखन के क्रेडिट को लेकर विवाद, उनका ‘दीपिका बचाओ’ अभियान में शामिल होने से इंकार, इन सभी ने कंगना और हमें बहुत व्यस्त रखा.

एल-लीक्ड यानी जबर प्रचार

रणबीर कपूर और पाकिस्तानी अभिनेत्री माहिरा खान की न्यूयॉर्क में शूटिंग के दौरान धुआं उड़ाती तस्वीरों ने इंटरनेट को लगभग बिठा ही दिया. माहिरा को उनके वतन में काफी कुछ झेलना पड़ा, लेकिन रणबीर ने जो लगभग विरले ही प्रेस में बयान देते हैं, ने उनका पक्ष लिया.

एम- मेरे रश्के क़मर

सच पूछिए तो यह इस साल का सबसे बड़ा ऑटोरिक्शा हिट था. मूल तौर पर 1988 का नुसरत और राहेत फतेह अली खान की यह गजल बादशाहों में फिर से पेश की गयी. शुक्र है कि इस गाने ने ‘भारत में पाकिस्तानी कलाकार नहीं’ का बवाल नहीं उठाया.

एन-नेपोटिज्म यानी भाई-भतीजावाद

यह सूची इसके बिना अधूरी है, जिसने पूरे साल भर की बयानबाजी को हवा दी औऱ तय किया.

ओ-ओएमजी मोमेंट्स यानी उत्तेजना के पल….

‘रंगून’ का ओपनिंग क्रेडिट्स वाला दृश्य जो फिल्मी सेट पर बनाय गया, ‘ट्रैप्ड” में चूहे वाला दृश्य, ‘बाहुबली 2:द कनक्लूजन’ में लाखों के सवाल, ‘कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा..’ का जवाब, अर्जुन रेड्डी में विज देवरकोंडा का अद्भुत अभिनय, जग्गा जासूस में उल्लू का पट्ठा गाने का फिल्मांकन और ‘ह्वेन हैरी मेट सेजल‘ में जब भी अनुष्का ने अपने गुजराती लहजे में डायलॉग बोले. ये सभी ओएमजी पल हैं.

पी- पंडित

विरुष्का की शादी इस साल की लगभग सबसे छुपी हुई बात होती अगर मीडिया ने अनुष्का के पारिवारिक पंडित को इटली की फ्लाइट में सवार होते नहीं देखा होता. बाकी तो खैर, अब शहरी इतिहास का हिस्सा है.

क्यू- क्वीन यानी रानियां

महिलाओं ने कहानियों औऱ स्क्रीन पर कब्ज़ा रखा- तापसी पन्नू (नाम शबाना), आलिया भट्ट (बद्रीनाथ की दुल्हनिया), लिप्स्टिक गैंग, भूमि पेडनेकर (शुभ, मंगल सावधान), कृति सैनन (बरेली की बरफी), कंगना रनौत (सिमरन), विद्या बालन (बेगम जान औऱ तुम्हारी सुलु), स्वरा भास्कर (अनारकली ऑफ आरा), श्रीदेवी (मॉम) और ज़ायरा वसीम (सीक्रेट सुपरस्टार)

आर-रेडियो

इसने ट्यूबलाइट में सलमान खान के लिए भले काम नहीं किया, लेकिन इसने तुम्हारी सुलु में निश्चित ही सुलु के लिए काम किया.

A still from Tumhari Sullu/Ellipsis Entertainment Production

एस- सेम सेम, नॉट डिफरेंट, यानी पुरानी बोतल में नयी शराब

सीक्वल, फ्रेंचाइज़ और रीमेक इस साल उफान पर थे- गोलमाल अगेन, जुड़वां 2, जॉली एलएलबी 2, बद्रीनाथ की दुल्हनिया, टाइगर जिंदा है, फुकरे रिटर्न्स, बाहुबली 2: द कनक्लूज़न

टी- टाइगर

अगर आपने ट्यूबलाइट देखकर उसके बॉक्स ऑफिस पर दम को आंका, तो सलमान खान ने तय किया कि टाइगर ज़िंदा है के जरिए उसकी गरज सबसे ज़ोरदार हो.

यू-अनकपलिंग यानी हम दोनों हैं जुदा-जुदा

यह साल फरहान अख्तर-अधुना भबनी, मलैका अरोड़ा खान- अरबाज़ खान, नंदिता दास- सुबोध मस्कारा के लिए अलग होने का समय रहा.

वी- वरुण धवन

बद्रीनाथ की दुल्हनिया और जुड़वां 2 जैसे जानदार हिट्स के जरिए वरुण धवन ने खुद को सबसे बेहतर युवा सितारा साबित किया.

डब्लूय- वेडिंग यानी शादी….

पागल कर देने वाली भीड़ से दूर जाकर दो शानदार, खूबसूरत, स्व-निर्मित औऱ सफल लोगों का प्यार के लिए शादी करना कितना अलौकिक है न! उन्होंने रास्ता दिखाया. अनुष्का शर्मा और विराट कोहली नए भारत मे प्यार का प्रतीक बन कर उभरे.

एक्स- एक्स फैक्टर यानी वो अलग बात

न्यूटन, बरेली की बरफी, ओमेरटा, ट्रैप्ड औऱ बोस: डेड ऑर अलाइव के जरिए राजकुमार राव ने यह तय कर दिया कि सिनेमा कुछ भी औऱ किसी के भी साथ हो, नाम तो उनका ही चमकेगा.

वाइ-यंगलिंग्स यानी चांदी के चम्मच के साथ पैदा हुए बच्चे

सितारों के बच्चे जैसे तैमूर अली खान, मिशा कपूर, आरव और नितारा कुमा, आर्यन-सुहाना औऱ अबराम खान, सारा औऱ इब्राहीम अली खान, अनन्या और आहान पांडे, जाह्नवी और खुशी कपूर, शनाया कपूर, निर्वाण औऱ अरहान खान, आहिल शर्मा, इनाया नौमी केमू, आज़ाद राव खान, आराध्या बच्चन इत्यादि उत्सुकता, पापराजी की रुचि और सोशल मीडिया फुटप्रिंट के जरिए हमारी आंखों के सामने बने रहे.

ज़ेड- ज़िंगर्स यानी, तुझे मिर्ची लगी तो ……

शाहिद कपूर की पत्नी मीरा राजपूत की मातृत्व के बारे में तीखी टिप्पणी, जब उन्होंने कहा, ‘मैं मीशा के साथ एक घंटे गुज़ार कर काम पर नहीं भागना चाहूंगी. आखिर, मैं मां क्यों बनी? वह कोई पपी(कुत्ते का बच्चा) नहीं है. मैं उसके लिए, उसके साथ रहना चाहती हूं.’ इसने न केवल कामकाजी मांओं को भड़काया, बल्कि पेट पैरेंट्स को भी. उसके बाद दीपिका पादुकोण का विस्फोटक बयान, जब उन्होंने अपने सहकलाकार विन डीज़ल के साथ रोमांस की अफवाहों पर सफाई दी, ‘हां, बिना आग के धुआं नहीं होता। हालांकि, यह सब मेरे दिमाग में है। हां,मेरे दिमाग में। मैं सोचती हूं कि हम साथ हैं, हमारी ज़बर्दस्त आपसदारी है और हम साथ रहते हैं, हमारे शानदार बच्चे हैं. पर, यह सब मेरे दिमाग में है.

हमें अभी भी समझ नहीं आय़ा कि वह क्या कहना चाह रही थीं!

हरनीत सिंह फिल्म-पत्रकार और सिने-लेखक हैं.