शीतकालीन सत्र की समाप्ति के एक दिन पहले, तीन तलाक का विधेयक ठंडे बस्ते में
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शीतकालीन सत्र की समाप्ति के एक दिन पहले, तीन तलाक का विधेयक ठंडे बस्ते में

भाजपा इस विवादास्पद विधेयक को राज्यसभा में बजट सत्र में लाने की सोच रही है, क्योंकि तब पार्टी को कांग्रेस के 'दोहरेपन' पर प्रहार करने का काफी मौका मिलेगा.

   
Rajya Sabha

Prevention of Corruption (Amendment) Bill was passed by voice vote in the Rajya Sabha | PTI Photo

भाजपा इस विवादास्पद विधेयक को राज्यसभा में बजट सत्र में लाने की सोच रही है, क्योंकि तब पार्टी को कांग्रेस के ‘दोहरेपन’ पर प्रहार करने का काफी मौका मिलेगा.

नयी दिल्लीः एक हफ्ते पहले ही, भाजपा ने एक ही दिन में तीन-तलाक विधेयक को लोकसभा से पारित करवा लिया था, पर अब लगता है कि यह विधेयक ठंडे बस्ते में चला गया है.

शीतकालीन सत्र की समाप्ति के एक दिन पहले, पार्टी के रणनीतिकार अब इस विधेयक को उच्च सदन में ज़ोर लगाकर पारित कराने के खिलाफ हैं, क्योंकि विपक्ष एकजुट होकर इसको रोकने पर आमादा है.

पार्टी सूत्रों ने कहा कि सरकार अब विधेयक को बजट सत्र में लाने का सोच रही है. बीच के वक्त में वह जनता के बीच जाकर विधेयक पर ‘विपक्षी दलों के दोमुंहेपन’ का पर्दाफाश करेगी.

एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, “हम लोगों को कांग्रेस और उसके सहयोगियों के अल्पसंख्यक-विरोधी रुख से अवगत कराएंगे. अब, लोग जानेंगे कि जिस दल को ‘अल्पसंख्यक-विरोधी’ कहा जाता रहा, वह उनके अधिकारों के लिए खड़ी है, वहीं जो लोग उनके शुभचिंतक होने का दावा करते थे, उन्होंने विधेयक को रोका है”.

उच्च सदन का आधिकारिक कार्य शुक्रवार को आधे दिन चलेगा, क्योंकि कई सांसद अपने घर वापस जाने के लिए उड़ान पकड़ना चाहेंगे.

शाब्दिक लड़ाई

सरकार और विपक्षी दलों के बीच विधेयक के ऊपर राज्यसभा में गुरुवार को रस्साकशी और बहस जारी रही. सदन के नेता अरुण जेटली ने विधेयक पर बहस की जरूरत बतायी और सरकार अपने रुख पर अड़ी रही. जेटली ने कांग्रेसी सांसदों के हंगामे के बीच कहा, “अब लोग जानते हैं कि विधेयक का विरोध कौन कर रहा है”.

नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आज़ाद ने भी बयान का विरोध करते हुए कांग्रेस के इस रवैए को साफ किया कि विधेयक पर और अधिक बहस की जरूरत है. आज़ाद ने कहा, “हम विधेयक के खिलाफ नहीं हैं, इसे सेलेक्ट कमिटी के पास भेजने की जरूरत है”.

भाजपा ने हालांकि, लोकसभा में बहुमत के आधार पर विधेयक को पारित कर लिया, लेकिन राज्यसभा में आंकड़े इसके खिलाफ हैं. मज़ेदार बात है कि कांग्रेस ने लोकसभा में तो विधेयक के पक्ष में मत दिया, लेकिन संशोधन और सेलेक्ट कमिटी के पास भेजने की अपनी मांग पर अब अड़ गयी है.