ठाकुर ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साथ राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी और बढ़ते हुए 52 वर्ष की अवस्था में हिमाचल के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे.
चंडीगढ़ः हिमाचल को मंडी जिले से पहला मुख्यमंत्री 52 वर्षीय जयराम ठाकुर के रूप में मिला है, जब पार्टी हाईकमान ने उनका नाम साफ कर दिया. वह इस पहाड़ी राज्य के 13 वें मुख्यमंत्री होंगे.
उनका नाम भाजपा के मुख्यमंत्री पद-प्रत्याशी प्रेमकुमार धूमल के सुजानपुर से 1919 वोटों से चुनाव हार जाने के बाद उभरा था. भाजपा के प्रदेश विधानसभा की 68 में 44 सीटें जीतने के बावजूद धूमल का हार जाना बेहद चौंकानेवाला नतीजा था.
प्रमुख राजपूत नेता ठाकुर मंडी से हैं औऱ अपना पहला चुनाव उन्होंने 1998 में चचियोट (अब परिसीमित और सेराज के तौर पर जाना जाता है) से जीता था. उसके बाद 2003, 2007 और 2012 में भी वह यहां से जीते. इस बार मंडी में भाजपा की शानदार जीत, जहां वह 10 में से 9 सीटें जीती, के पीछे भी ठाकुर के नेतृत्व को श्रेय दिया जा रहा है. उनके पक्ष में बात जाने का कारण संघ से उनके मधुर रिश्ते भी हैं.
ठाकुर 2007-12 तक की धूमल सरकार में ग्रामीण विकास और पंचायती राज के काबीना मंत्री थे. वह 2006 से 2009 तक प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भी रहे थे.
व्यक्तिगत प्रोफाइल और राजनीतिक यात्रा
6 जनवरी 1965 को पैदा हुए ठाकुर ने अपना स्नातक वल्ल्भ गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज, मंडी से पूरा किया. वह एक कृषि-विशेषज्ञ हैं औऱ थुनाग तहसील में उनकी ज़मीन है. उनकी पत्नी डॉक्टर साधना ठाकुर हैं औऱ उनको दो बेटियां हैं.
ठाकुर के बारे में एक कम प्रचलित बात यह है कि वह खाली समय में पुराने गाने सुनना पसंद करते हैं. वह वन-एक्ट प्ले में अभिनय करना और यात्राएं करना पसंद करते हैं.
वह पूरी तरह भाजपाई हैं. ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश की राजनीति के शीर्ष पर पहुंचने के लिए लंबा सफर तय किया है. उन्होंने शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) से छात्र नेता के तौर पर की. वह कॉलेज जीवन में 1986 तक राज्य में परिषद के संयुक्त सचिव रहे. वह 1989 से 1993 तक जम्मू और कश्मीर में अभाविप के संगठन मंत्री भी थे.
वह राज्य में पार्टी की युवा मोर्चा के भी अगुआ रहे, 1993 से दो वर्ष के लिए वह इसके महासचिव औऱ बाद में अध्यक्ष बने. 2000 में वह मंडी जिला भाजपा अध्यक्ष बने और 2003 से दो वर्ष के लिए वह राज्य में पार्टी के उपाध्यक्ष थे.
जयराम ठाकुर जनरल डेवलमेंट कमिटी और शिक्षा-समिति के प्रमुख रहे हैं. वह राज्य के सिविल सप्लाइज़ कॉरपोरेशन लिमिटेड के उप-चेयरमैन भी. वह 2013 में मंडी से लोकसभा उप-चुनाव वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह के खिलाफ लड़ चुके हैं, हालांकि हार गए.
धूमल के नेतृत्व वाली पिछली भाजपा सरकार में, वह ग्रामीण योजना समिति के चेयरमैन थे और कई दूसरी हाउस-कमिटी के भी सदस्य थे. उसके बाद वह मंत्री बनाए गए.