इवांका – मोदी – हैदराबाद समारोह: एक आकर्षक सेल्फी पैकेज
OpinionThePrint Hindi

इवांका – मोदी – हैदराबाद समारोह: एक आकर्षक सेल्फी पैकेज

इवांंका ट्रम्प ने भारत को कुछ ऐसा दिया है, जिसका महिलाओं के सशक्तिकरण से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने भारत पर तारीफों की बौछार की है - जो वह आज भी पश्चिम से चाहता है।

Ivanka Trump with Modi

Ivanka Trump and Narendra Modi | @USAmbIndia

इवांंका ट्रम्प ने भारत को कुछ ऐसा दिया है, जिसका महिलाओं के सशक्तिकरण से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने भारत पर तारीफों की बौछार की है – जो वह आज भी पश्चिम से चाहता है।

यह समय कुछ विरोधाभासी था। जब एक तरफ पिता वॉशिंगटन डीसी में एक तरह के “इंडियन’ का मजाक बना रहे थे और वहीं दूसरी तरफ हैदराबाद में बेटी दूसरे तरह के इंडियन की तारीफों के पुल बांध रहीं थी।

डोनाल्ड ट्रम्प ने युद्ध में शहीद हुए मूल अमेरिकियों को सम्मानित करने के अवसर को सीनेटर एलिजाबेथ वॉरेन का उपहास उड़ाने के लिए चुना। इस दौरान दुनिया के दूसरे छोर पर इवांका ट्रम्प ग्लोबल आंत्रप्रेन्योरशिप समिट में महिलाओं को बढ़ावा देने पर उपदेश दे रही थीं और अपने भारतीय मेज़बानों का शुक्रियादा कर रही थीं।

लेकिन कुछ और भी था, जो इससे भी ज़्यादा विरोधाभास उत्पन्न करता है। इवांका ट्रम्प को नरेंद्र मोदी द्वारा व्यक्तिगत रूप से बुलावा मिला था। भारतीय प्रधानमंत्री वशंवाद के प्रखर विरोधियों के रूप में जाने जाते हैं। लोगों के कानों में आज भी गूंजता उनका मां-बेटे की सरकार वाला व्यंग्य कांग्रेस के लिए एक अभिशाप की तरह है। मोदी अपना परिवार न होने को भाई-भतीजावाद से दूर रहने के सबूत के रूप में पेश करते हैं। वहीं दूसरी तरफ, यदि वंश परंपरा इत्र है, तो इवांका ट्रम्प उसकी सबसे अच्छी सुंगध हैं। इवांका ट्रम्प और जेरड कुशनर भाई-भतीजावाद का साक्षात उदाहरण हैं। वे समिट में इसलिए उपस्थित नहीं थीं कि उनकी अपनी क्लोदिंग लाइन है, बल्कि इसलिए क्योंकि वे अमेरिकी राष्ट्रपति की बेटी हैं।

समिट के दौरान इवांका ने कहा कि महिलाएं आज स्वयं अपने रास्ते बना रही हैं और नई ऊंचाइयां हासिल कर रही हैं। यह भी कुछ व्यंग्य जैसा है क्योंकि यह बात उन्होंने तब कही जब भारत में एक 24 वर्षीय महिला कोर्ट दर कोर्ट इसलिए भटक रही है कि उसने दूसरा धर्म अपनाते हुए अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने का फैसला किया। इवांका का खुद धर्म परिवर्तन करना इस विरोधाभास को और प्रखर करता है।

महिला सशक्तिकरण की बतौर ब्रैंड एम्बेसडर के रूप में इवांका ट्रम्प समिट की इस थीम पर फिट नहीं बैठती हैं। हैशटैग मीटू के समय वे बयानबाजी करने के अलावा भी इस मुद्दे पर बहुत कुछ कर सकती थीं। जब क्रिश्चियन कजंर्वेटिव रिपब्लिक के उम्मीदवार रॉय मूर के ऊपर एक नाबालिग लड़की को छेड़ने के आरोप लगे तो इवांका ने कहा था कि ऐसे लोगों के लिए नर्क में खास स्थान है जो बच्चों को बुरी नजरों से देखते हैं। लेकिन उनके पिता ने सारे आरोपों को यह कहते हुए किनारे कर दिया कि मूर ने इन्हें खारिज कर दिया है। यहां तक कि बाद में ट्रम्प ने यह भी कहा कि चुनाव अभियान के दौरान सामने आए अभद्र टिप्पणियों वाले उनके टेप भी असली नहीं थे। इवांका को जर्मनी में भी विरोध का सामना करना पड़ा था जब उन्होंने अपने पिता को महिला अधिकारों के नायक के रूप में पेश करने की कोशिश की थी।

चाइल्ड टैक्स क्रेडिट को विस्तार देने के अलावा जब भी वर्कप्लेस और महिलाओं के मुद्दे बात आती है तो वे पीछे नजर आती हैं। उनकी अपनी कंपनी उनके पिता की कही बात “अमेरिकी सामान खरीदो और अमेरिकियों को नौकरी दो’ का अनुसरण नहीं करती है। वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार इवांका की कंपनी चीन, बांग्लादेश और इंडोनेशिया में बनी फैक्टिरियों पर निर्भर है। वे अपैरल इंडस्ट्री की तुलना में उन फैक्टरियों पर काम कर रही महिलाओं की निगरानी के मामले में काफी पीछे हैं। वॉशिंगटन पोस्ट की भारत की ब्यूरो चीफ एनी गॉवेन ने ट्वीट करते हुए कहा कि “इवांका भारत में महिला सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करने जा रही हैं, लेकिन इसके बावजूद वे उन महिलाओं की बात नहीं करेंगी जो 4 डॉलर प्रतिदिन के दिहाड़ी पर उनके लिए कपड़े बनाती हैं।’ और उन्होंने सच में नहीं की। उनकी पूरे भाषण के दौरान उन महिलाओं का जरा भी जिक्र नहीं था, जो उनके लिए यहीं भारत में फैक्टरियों में काम करती हैं। इंटरनेशनल लेबर राइट्स फोरम पर सराह नेवेल ने कहा कि इवांका को दुनियाभर की महिलाओं की वकालत करने से पहले अपने लिए काम करने वाली महिलाओं के बारे में सोचना चाहिए।

इस भाषण को कई नेटवर्क द्वारा कवर किया गया लेकिन क्वार्ट्ज़ ने इसे पकड़ा कि इसमें कुछ बातें एक उनके द्वारा टोक्यो में दिए गए भाषण से मिलती जुलती हैं। जैसे देश के लिए अपना बिज़नेस छोड़ देना, वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी बढ़ने के लाभ, महिला उद्यमियों को आर्थिक मदद देने के प्रयास आदि। उन्होंने इसे काफी हद तक उसी शैली में बोला, बस फर्क इतना था कि इसमें हैदराबादी बिरयानी और सत्या नडेला जैसी स्थानीय बातों को शामिल कर लिया।

तो फिर सवाल यह है कि इवांका ट्रम्प ने इतने बड़े स्वागत के लायक क्या किया? भिखारियों और कुत्तों को गलियों से हटाने, सड़कें सुधारने, पुल रंगने में 18.5 लाख डाॅलर खर्च कर दिए गए। बेशक किसी भी वीवीआईपी के आने पर शहर को बेहतर बनाया जाएगा, जैसा पहले बिल क्लिंटन के लिए किया गया, लेकिन हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि इवांका ट्रम्प अंत में सिर्फ सत्ता का एक रहस्यमय हिस्सा हैं, जिन्हें डोनाल्ड ट्रप के मुफ्त सलाहकार के रूप में जाना जाता है। जैसा कि जर्मन मीडिया ने उन्हें परिभाषित किया है “फर्स्ट विस्परर’ (कानाफूसी करने वाला पहला सख्श)। डोनाल्ड ट्रम्प की पुरानी बात कि व्हाइट हाउस में भारत के सच्चे दोस्त हैं को एक तरफ रखते हुए इवांका को यह भी बताना चाहिए था कि भारतीय उद्यमियों को अमेरिका से सिर्फ बातों के अलावा और क्या मिल सकता है। और वे इसे कैसे मुमकिन बना सकती हैं। स्टेट सेक्रेटरी जानबूझकर समिट में शामिल नहीं हुए और न ही उन्होंने स्टेट ऑफिस के किसी बड़े अधिकारी को इसमें शामिल होने की अनुमति नहीं दी। सीएनएन को एक अधिकारी ने बताया कि ट्रम्प को वे इवांका को बढ़ावा नहीं देना चाहते थे, इसलिए किसी वरिष्ठ अधिकारी को अनुमति नहीं दी।

लेकिन इसके बावजूद देश मीडिया के आगोश में आकर इसे एक शाही यात्रा के रूप में देखने लगा जिससे शायद कुछ भी हासिल नहीं होगा। क्यों? क्योंकि इवांंका ट्रम्प ने भारत को कुछ ऐसा दिया है, जिसका महिलाओं के सशक्तिकरण से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने भारत पर तारीफों की बौछार की है – जो वह आज भी पश्चिम से चाहता है। और यदि यह तारीफ किसी सेलिब्रिटी से मिली हो तो और भी बढ़िया। उन्होंने यह कहते हुए मोदी की तारीफ की कि “आपने चाय बेचने से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक यह साबित किया है कि बदलाव मुमकिन है।’ इसके तुरंत बाद रवि शंकर प्रसाद ने ट्वीट किया कि यह भारत के लिए गर्व का मौका है और प्रधानमंत्री की गरीबी से लेकर अब तक की यात्रा की तारीफ सुनना अच्छा लग रहा है। इवांका ने मोदी को सराहा और इसके ठीक बाद इवांका चीयर्स चायवाला हैशटैग ट्रेंड करने लगा। और इस तरह इवांका ट्रम्प भारत की चहेती बन गईं।

यह जादुई ईवेंट और इसमें सितारों की परफॉर्मेंस न तो महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए थी और न ही इस बात को प्रोत्साहित करने के लिए कि वे अपने बंधनों को तोड़कर आजाद हो जाएं। यह तो सिर्फ नरेंद्र मोदी और इवांका ट्रम्प के लिए एक आकर्षक सेल्फी थी।