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Saturday, November 2, 2024
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तो कांग्रेस के पूर्व मुस्लिम मंत्री हैं मोदी के तीन तलाक बिल पर जल्दी के पीछे!

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आरिफ मोहम्मद खान ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद तीन तलाक के मामले होते देखे और प्रधानमंत्री से कानून बनाने का आग्रह किया.

नयी दिल्लीः शाहबानो मामले के ऊपर राजीव गांधी कैबिनेट से इस्तीफा देनेवाले आरिफ मुहम्मद खान ने खुलासा किया है कि वह शुरुआती अक्टूबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले थे ताकि तीन तलाक को आपराधिक बनानेवाले कानून का विचार दे सकें.

पहली बार इसका विवरण देते हुए खान ने दिप्रिंट को बताया कि उन्होंने सितंबर में ही प्रधानमंत्री से मिलने की कोशिश शुरू की, जब बहराइच, उत्तर प्रदेश में तीन तलाक का एक मामला उनके सामने आया. हालांकि, 13 सितंबर को उन्हें बताया गया कि प्रधानमंत्री जापानी पीएम शिंजो अबे के के दौरे की वजह से व्यस्त हैं.

उसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा जो 6 अक्टूबर को प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंचा. अगले ही दिन प्रधानमंत्री ने उनको बैठक के लिए आमंत्रित किया.

खान ने कहा, “मैंने प्रधानमंत्री को कहा कि कानून के तहत तीन तलाक को संज्ञेय और सज़ा योग्य बनाया जाना चाहिए, क्योंकि गरीब मुस्लिम महिलाएं मुकदमे नही लड़ सकतीं”.

एक घंटे की इस मुलाकात के बाद कानून मंत्रालय से एक फोन आया, जिसके बाद अधिकारियों को अगले दिन खान से मिलने भेजा गया.

हालांकि, खान को प्रेरणा आखिर कहां से मिली?

खान बताते हैं, “मुझे 22 अगस्त के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक फोन आया कि एक महिला को गाज़ियाबाद में तीन तलाक दिया गया है. मैंने पुलिस अधिकारी को फोन कर कार्रवाई करने को कहा. हालांकि, बिना किसी कानूनी स्पष्टता के, वह अधिकतम यही कर सकते थे कि परिवार के लोगों को पुलिस स्टेशन बुलाएं और पति को समझाएं”.

उसके बाद एक ऐसा मामला आया, जिसने खान को इतना परेशान किया कि उन्होंने पीएम तक गुहार लगाने की ठान ली.

पांच सितंबर को उन्हें अपने पुराने लोकसभा क्षेत्र बहराइच में भी तीन तलाक का एक मामला सुनने को मिला, जो इनके परिचित थे.

खान बताते हैं, “एक युवा महिला और पुरुष केरल से बहराइच लौट रहे थे, जहां पुरुष काम करता था. बहराइच का नजदीकी स्टेशन गोंडा है. वहीं पुरुष ने फोन कर महिला के पिता और भाई को बुलाया और कहा कि उनकी बेटी को उसने तीन तलाक दे दिया है. वे आकर अपनी बेटी-बहन को स्टेशन से ले जाएं”.

मैंने तो लड़के को समझाने की भी कोशिश की, बताया कि यह गैर-कानूनी है, लेकिन वह अड़ा रहा. यह करीबन एक सप्ताह चला.

13 सितंबर को उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय को फोन मिलाया और प्रधानमंत्री से मिलने के लिए एक अप्वाइंटमेंट का अनुरोध किया. हालांकि उनको बताया गया कि मोदी जापानी प्रधानमंत्री अबे की यात्रा की वजह से व्यस्त हैं.

खान ने तब मोदी को एक चिट्ठी लिखी- उसकी एक प्रति दिप्रिंट के पास है, जिसमें कानून बनाने का आग्रह किया गया था.

उन्होंने लिखा है, “1986 में हमने शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अप्रभावी बनाने के लिए एक कानून बनाया था. यदि आज हम कानून नहीं बनाएंगे, तो 2017 का फैसला अप्रभावी हो जाएगा और देश एक ऐसा शानदार मौका चूकेगा, जो पारिवारिक कानूनों में लैंगिक समानता और न्याय सुनिश्चित कर सके”.

कोई आश्चर्य नहीं कि भाजपा सांसदों ने लोकसभा में गुरुवार को तीन तलाक पर बस के दौरान खान की बडाई की झड़ी लगा दी, हालांकि खान ने बदले में मोदी को श्रेय दिया.

उन्होंने कहा, “मैंने तो बस जानकारी दी. हालांकि, इसके बाद भी मैं सोच रहा था कि सरकार समय लगाएगी. नरेंद्र मोदी का आभार, धन्यवाद कि प्रक्रिया को उन्होंने तेज़ किया, ताकि शीतकालीन सत्र में कानून पेश किया जा सके”.

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