Ushinor Majumdar in his book 'God of Sin' traces the empire of Asaram Bapu and his son Narayan Sai, shedding light on everything wrong with self-styled godmen.
On the run from the Gujarat Police, after being charged in an alleged case of kidnapping and wrongful confinement of children, Nithyananada has now founded his own country.
Sardar Patel was far more direct and clear than Mahatma Gandhi when it came to assuring prosperity to the industrial class, says a new book about India's 'Iron Man'.
In Episode 1544 of CutTheClutter, Editor-in-Chief Shekhar Gupta looks at some top economists pointing to the pitfalls of ‘currency nationalism’ with data from 1991 to 2004.
Using this technology, IDF carried out fully robotic combat missions, drastically reducing risk to Israeli troops. The robotic combat task force also enhanced situational awareness.
While we talk much about our military, we don’t put our national wallet where our mouth is. Nobody is saying we should double our defence spending, but current declining trend must be reversed.
It seems that the author of this book has been paid heavily for this publishment by someone to write the false statements about Sant Shri Asharam ji Bapu and Pujya Narayan Saiji
* उसीनूर मजूमदार अपने लेखक के कर्तव्य का ईमानदारी से निर्वाह करो, देश के नागरिकों को भर्मित मत करो *
* उसीनूर मजूमदार तुम्हें बहुत गर्व महसूस हो रहा होगा कि तुमने परम पूज्य संत श्री आशाराम बापूजी के विषय एक किताब लिखी जिसका शीर्षक है “God of Sin मतलब पाप का देवता”। पर सत्य कहूँ तो तुम पर आज हँसी आ रही है। तुम जैसा इंसान 2-4 किताबें पढ़कर और फिर कुछ किताबें लिखकर जब कुछ लोग तुम्हें जानने भी लगते हैं तो अगर ये सोचता है कि वो किसी ब्रह्मज्ञानी संत के विषय में लिख सकता है तो इससे ये सिद्ध होता है कि तुम्हारा आज तक ज्ञान और विवेक शून्य है। आज तुम्हें देखकर लग रहा है जैसे एक नन्हा नासमझ बालक एक संत आशाराम बापूजी जैसी दिव्यात्मा से अपनी ज्ञानरहित बुद्धि के कारण उनकी महिमा से अनभिज्ञ है।*
* उसीनूर मजूमदार मुझे ये बताओ परम पूज्य संत श्री आशाराम बापूजी को पाप का देवता बोलने से पहले क्या तुमने उनके विषय में जानने की कोशिश की? क्या तुम उनके किसी आश्रम में गए? क्या तुमने उनका कोई सत्संग सुना? क्या तुमने उनका कोई सत्साहित्य पढ़ा? क्या तुमने कभी उनके किसी साधक से उसका अनुभव सुना? इन सभी प्रश्नों का एक ही जवाब है “नहीं”। क्योंकि अगर तुमने इन ऊपर लिखी चीजों में से अगर एक को भी किया होता तो तुम संत श्री आशाराम बापूजी को “मानवता का देवता” बोलते, “संत के वेश में देवता” बोलते, “विश्व हितैषी संत” बोलते, “परोपकारी संत” बोलते।*
* ऐसा इसलिए बोल रहा हूँ क्योंकि अपने जीवनकाल में संत आशाराम बापूजी ने मानवता और हिन्दुत्व के लिए जो किया वो अतुलनीय है। पिछले 55+ सालों से पूज्य बापूजी आध्यात्मिक ज्ञान का प्रचार प्रसार कर रहे हैं, गरीबों और आदिवासियों की निस्वार्थ सेवा कर रहे हैं। इसलिए आज उनके भारत ही नहीं अपितु विश्व में 8 करोड़ से भी अधिक शिष्य है। आज उनके भारत के हर कोने ही नहीं अपितु विश्व के हर कोने में आश्रम है जिनसे देश विदेश के करोड़ों लोग लाभान्वित हो रहे हैं। उन्होंने योग और आयुर्वेद का पुनरूत्थान और प्रचार किया जिससे विश्व के करोड़ों लोग लाभान्वित हुए, अभी भी हो रहे हैं और आगे भी होते रहेंगे। उनका सत्संग अगर कोई एक बार भी सुन लेता है या उनका सत्साहित्य एक बार भी पढ़ लेता है वो उनको नतमस्तक किए बिना नहीं रहता। इनके पदचिन्हों पर पूरे विश्व ने 14 फरवरी को Valentines Day की जगह “मातृ पितृ पूजन दिवस” मना रहा है और 25 दिसम्बर को Christmas Day की जगह “तुलसी पूजन दिवस” मना रहा है। इनके पूरे भारत ही नहीं अपितु विश्व में 22000 से अधिक बालसंस्कार केन्द्र चल रहे हैं जहाँ बच्चें आध्यात्मिक और नैतिक शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। पूज्य बापूजी ने गौरक्षा के लिए गौशालाएँ खुलवाई और अपने सत्संग द्वारा सबको गौरक्षा और गौपालन करने की शिक्षा दी। क्या उसीनूर मजूमदार तुमने अपनी किताब में ये सच लिखा है?*
* उसीनूर मजूमदार अब मैं तुमको उन पर हुए केस के विषय में बताता हूँ। उससे पहले ये बता रहा हूँ कि उनको 2008 में आश्रम में 2 बच्चों की मौत और काले जादू के केस में सुप्रीम कोर्ट से क्लीनचिट मिली। जिस केस में उनको अप्रैल 2018 में उम्रकैद की सजा हुई उसके बारे में सुनो। 19 अगस्त 2013 की रात को जोधपुर में हुई घटना के विषय में शाहजहांपुर, यूपी का एक परिवार कमला मार्किट पुलिस स्टेशन, दिल्ली में Zero FIR दर्ज कराता है और मात्र 02 घण्टे और 55 मिनट में लिखित शिकायत से लेकर मेडिकल और साथ में Zero FIR तक दर्ज हो जाती है। सबसे बड़ी बात तो ये है कि ना ही FIR और ना ही मेडिकल रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि है। Scientific Evidences जो संत आशाराम बापूजी को निर्दोष सिद्ध कर सकते थे उनको इकट्ठा करने की कोई कोशिश नहीं हुई, Forensic Science Laboratory से Technician को नहीं बुलाया गया। पूज्य बापूजी पर POCSO Act की धाराएं भी लगाई गई जबकि कोर्ट में लड़की को बालिग बताने वाले 13 सरकारी दस्तावेज प्रस्तुत किए गए। फिर भी लड़की की उम्र निर्धारण करने के लिए कोई मेडिकल टेस्ट नहीं कराए गए जैसे DNA test, X-Ray, Bone Ossification test, Dental test आदि जो लड़की को बालिग सिद्ध कर सकते थे। और इसके बावजूद केस POCSO Act की धाराओं में चलता रहा और अंत में उसमें दोषी भी करार दिया गया। क्या तुमने अपनी किताब में कहीं ये सच भी लिखा है उसीनूर मजूमदार?*
* पूज्य बापूजी को Indian Penal Code 1860 की 3 धाराओं में उम्रकैद की सजा हुई। पहली IPC की धारा 370(4) जो Trafficking से सम्बंधित है। पर जब खुद लड़की और उसके माँ बाप ने अपनी गवाही में कहा कि लड़की अपने माँ बाप के साथ जोधपुर गई थी तो बताओ ये किस दृष्टिकोण से Trafficking हो गई? बाकी दो धाराएं है 376 (D) और 376 (2)(f). पर जब मेडिकल रिपोर्ट और FIR में बलात्कार की पुष्टि नहीं तो बताओ कैसे ये बलात्कार की दोनों धाराएं पूज्य बापूजी पर सिद्ध हुई? कितने ही गवाहों ने ये कहा कि संत आशाराम बापूजी उस समय सत्संग कर रहे थे, उसके फ़ोटो भी कोर्ट में सबूत के तौर पर दिए गए पर कोर्ट के लिए उनकी गवाही की कोई कीमत नहीं थी। उसीनूर मजूमदार क्या तुमने ये सच्चाई अपनी किताब में लिखी?*
* संत श्री आशाराम बापूजी को अंतर्राष्ट्रीय षड़यंत्र के तहत फँसाया गया क्योंकि वे हिन्दुत्व की मजबूत नींव है और उन्होंने ईसाई मिशनरियों के धर्मांतरण के गोरखधंधे का खुला विरोध किया। लाखों धर्मांतरित हुए हिंदुओं को वापिस हिन्दू बनाया जिससे वे ईसाई मिशनरियों की राह की सबसे बड़ी बाधा बने। इन्हीं ईसाई मिशनरियों ने पैसे के बल पर पहले इनको झूठे केस में फंसाया और फिर मीडिया द्वारा दिन रात झूठी खबर दिखाकर इनको बदनाम कराया ताकि इनके रस्ते की सबसे बड़ी बाधा दूर हो। वास्तव में ये उनको नहीं हिन्दुत्व को बदनाम करने की साजिश है। क्या तुमने ये भी अपनी किताब में लिखा है उसीनूर मजूमदार?*
* अभी हाल में 2 बहुत महत्वपूर्ण चीजें हुई। पहला पूज्य बापूजी के दिशानिर्देश पर विभिन्न आश्रमों द्वारा पूरे भारत मे दीवाली पर गरीबों और आदिवासियों के लिए भंडारों का आयोजन किया गया और साथ में मिठाई और दूसरी उपयोगी चीजें भी बांटी गई। दूसरा अभी 05 नवम्बर से 11 नवम्बर 2018 तक संत श्री आशाराम बापूजी आश्रम, अहमदबाद में बच्चों के लिए शिविर का आयोजन किया गया जिसमें भारत भर से हज़ारों बच्चों ने भाग लिया। हज़ारों बच्चों ने इस शिविर में आध्यात्मिक और नैतिक शिक्षा प्राप्त की और योग एवं ध्यान करना सीखा। भीड़ इतनी थी कि पैर रखने की जगह नहीं थी। क्या हज़ारों आदमी मूर्ख और तुम ठीक हो उसीनूर मजूमदार। क्या तुमने इन 2 महत्वपूर्ण चीजों का अपनी किताब में उल्लेख किया है?*
* उसीनूर मजूमदार तुमने खबर सुनी ही होगी कि मदरसों में देशविरोधी शिक्षा दी जा रही है, आतंक की पढ़ाई दी जा रही है। क्या ऐसे मौलवी तुम्हारे लिए पाप के देवता नहीं जो अपने ही देश के खिलाफ गद्दारी की शिक्षा दे रहे हैं। हलाला से लेकर तीन तलाक, लव जिहाद और मस्जिदों में औरतों की जाने की मनाही, क्या तुमको नहीं लगता कि इन विषयों पर आवाज़ उठाने की जरूरत है? क्या तुम्हारे लिए ये सब पाप नहीं है? अभी अभी 13 बार बलात्कार के आरोप में जमानत पर बाहर पादरी फ्रांको मुलक्कल तुम्हारे लिए महान इन्सान है क्या, उसको पाप का देवता क्यों नहीं बोला? ईसाई मिशनरियों वाले पैसे देकर गरीबों का धर्मांतरण कर रहे हैं, नाबालिग लड़कियों का बलात्कार कर रहे हैं, ननों का बलात्कार कर रहे हैं, क्या तुम्हारी नज़र में ये पाप नहीं है। एक पादरी खुलेआम महिला को चुम्बन करता है, उसका फ़ोटो भी शेयर करता है, क्या ये तुम्हारी नज़र में महान कार्य है? क्या धर्म के ऐसे ठेकेदार तुम्हारी नज़र में पाप के देवता नहीं है? क्या तुम इनके लिए भी कोई पाप के देवता या गुनाह के देवता शीर्षक की कोई किताब लिखोगे? तुम्हारी मानसिकता पर तरस आ रहा है उसीनूर मजूमदार। तुम अगर गौर से आँख खोलकर देखोगे तो पाओगे कि हिन्दू धर्म और संत बाकी धर्मो और उनके धर्मगुरुओं से लाख गुणा अच्छे हैं। क्या ये सब लिखना तुम्हारा कर्तव्य नहीं है उसीनूर?*
* अगर तुम्हारे अंदर सच लिखने की हिम्मत नहीं है उसीनूर मजूमदार तो लिखना छोड़ दो, अपनी कलम को आग लगा दो। जो लेखक समाज को भर्मित करें, सच्चाई छुपाए, उसे कोई हक नहीं है लेखन करने का। क्योंकि अगर तुम ईमानदारी से लेखक के कर्तव्य का निर्वाह नहीं कर सकते तो तुम्हारे और एक बेलगाम घोड़े में कोई फर्क नहीं रह जाता।*
* (तुम जैसे झूठ लिखने वालों लेखकों से व्यथित देश का एक नागरिक) *
Mr Ushinor doesn’t know facts and has tried to become a famous writer by his fake stories .The reality is that Narain Sai is totally innocent.The lady who made the fake charge on him was a captured in a photo standing with folded hands in front of Sai Ji’s car in 2013.She made allegations in 2013 about a so called incident in 2001 then why did she call her sister also to stay in the ashram in 2002? Why did both of them stayed in ashram till 2005 and 2006 respectively?
I think that “Ushinor Majumdar” is being funded by some agencies to write the book
But sadly the book has failed as people can clearly see that this is a sponsored propaganda.
It seems that the author of this book has been paid heavily for this publishment by someone to write the false statements about Sant Shri Asharam ji Bapu and Pujya Narayan Saiji
भारतीय संस्कृति के खिलाफ साज़िश | क्या है आरोपों की सच्चाई ?
https://www.youtube.com/watch?v=fOwhz2wuGUY&list=PLegIPJqN9Mooms2Xm8Iv-LCsRKimUoJkH&index=5
Truth Of Conspiracy on “Pujya Narayan Sai”
https://www.youtube.com/watch?v=j5g4RdP1nLU&t=62s
No Lookout Notice was Issued for Saiji, From Surat Police
https://www.youtube.com/watch?v=S36UmFWWhEQ&list=PLegIPJqN9Mooms2Xm8Iv-LCsRKimUoJkH&index=6
* उसीनूर मजूमदार अपने लेखक के कर्तव्य का ईमानदारी से निर्वाह करो, देश के नागरिकों को भर्मित मत करो *
* उसीनूर मजूमदार तुम्हें बहुत गर्व महसूस हो रहा होगा कि तुमने परम पूज्य संत श्री आशाराम बापूजी के विषय एक किताब लिखी जिसका शीर्षक है “God of Sin मतलब पाप का देवता”। पर सत्य कहूँ तो तुम पर आज हँसी आ रही है। तुम जैसा इंसान 2-4 किताबें पढ़कर और फिर कुछ किताबें लिखकर जब कुछ लोग तुम्हें जानने भी लगते हैं तो अगर ये सोचता है कि वो किसी ब्रह्मज्ञानी संत के विषय में लिख सकता है तो इससे ये सिद्ध होता है कि तुम्हारा आज तक ज्ञान और विवेक शून्य है। आज तुम्हें देखकर लग रहा है जैसे एक नन्हा नासमझ बालक एक संत आशाराम बापूजी जैसी दिव्यात्मा से अपनी ज्ञानरहित बुद्धि के कारण उनकी महिमा से अनभिज्ञ है।*
* उसीनूर मजूमदार मुझे ये बताओ परम पूज्य संत श्री आशाराम बापूजी को पाप का देवता बोलने से पहले क्या तुमने उनके विषय में जानने की कोशिश की? क्या तुम उनके किसी आश्रम में गए? क्या तुमने उनका कोई सत्संग सुना? क्या तुमने उनका कोई सत्साहित्य पढ़ा? क्या तुमने कभी उनके किसी साधक से उसका अनुभव सुना? इन सभी प्रश्नों का एक ही जवाब है “नहीं”। क्योंकि अगर तुमने इन ऊपर लिखी चीजों में से अगर एक को भी किया होता तो तुम संत श्री आशाराम बापूजी को “मानवता का देवता” बोलते, “संत के वेश में देवता” बोलते, “विश्व हितैषी संत” बोलते, “परोपकारी संत” बोलते।*
* ऐसा इसलिए बोल रहा हूँ क्योंकि अपने जीवनकाल में संत आशाराम बापूजी ने मानवता और हिन्दुत्व के लिए जो किया वो अतुलनीय है। पिछले 55+ सालों से पूज्य बापूजी आध्यात्मिक ज्ञान का प्रचार प्रसार कर रहे हैं, गरीबों और आदिवासियों की निस्वार्थ सेवा कर रहे हैं। इसलिए आज उनके भारत ही नहीं अपितु विश्व में 8 करोड़ से भी अधिक शिष्य है। आज उनके भारत के हर कोने ही नहीं अपितु विश्व के हर कोने में आश्रम है जिनसे देश विदेश के करोड़ों लोग लाभान्वित हो रहे हैं। उन्होंने योग और आयुर्वेद का पुनरूत्थान और प्रचार किया जिससे विश्व के करोड़ों लोग लाभान्वित हुए, अभी भी हो रहे हैं और आगे भी होते रहेंगे। उनका सत्संग अगर कोई एक बार भी सुन लेता है या उनका सत्साहित्य एक बार भी पढ़ लेता है वो उनको नतमस्तक किए बिना नहीं रहता। इनके पदचिन्हों पर पूरे विश्व ने 14 फरवरी को Valentines Day की जगह “मातृ पितृ पूजन दिवस” मना रहा है और 25 दिसम्बर को Christmas Day की जगह “तुलसी पूजन दिवस” मना रहा है। इनके पूरे भारत ही नहीं अपितु विश्व में 22000 से अधिक बालसंस्कार केन्द्र चल रहे हैं जहाँ बच्चें आध्यात्मिक और नैतिक शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। पूज्य बापूजी ने गौरक्षा के लिए गौशालाएँ खुलवाई और अपने सत्संग द्वारा सबको गौरक्षा और गौपालन करने की शिक्षा दी। क्या उसीनूर मजूमदार तुमने अपनी किताब में ये सच लिखा है?*
* उसीनूर मजूमदार अब मैं तुमको उन पर हुए केस के विषय में बताता हूँ। उससे पहले ये बता रहा हूँ कि उनको 2008 में आश्रम में 2 बच्चों की मौत और काले जादू के केस में सुप्रीम कोर्ट से क्लीनचिट मिली। जिस केस में उनको अप्रैल 2018 में उम्रकैद की सजा हुई उसके बारे में सुनो। 19 अगस्त 2013 की रात को जोधपुर में हुई घटना के विषय में शाहजहांपुर, यूपी का एक परिवार कमला मार्किट पुलिस स्टेशन, दिल्ली में Zero FIR दर्ज कराता है और मात्र 02 घण्टे और 55 मिनट में लिखित शिकायत से लेकर मेडिकल और साथ में Zero FIR तक दर्ज हो जाती है। सबसे बड़ी बात तो ये है कि ना ही FIR और ना ही मेडिकल रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि है। Scientific Evidences जो संत आशाराम बापूजी को निर्दोष सिद्ध कर सकते थे उनको इकट्ठा करने की कोई कोशिश नहीं हुई, Forensic Science Laboratory से Technician को नहीं बुलाया गया। पूज्य बापूजी पर POCSO Act की धाराएं भी लगाई गई जबकि कोर्ट में लड़की को बालिग बताने वाले 13 सरकारी दस्तावेज प्रस्तुत किए गए। फिर भी लड़की की उम्र निर्धारण करने के लिए कोई मेडिकल टेस्ट नहीं कराए गए जैसे DNA test, X-Ray, Bone Ossification test, Dental test आदि जो लड़की को बालिग सिद्ध कर सकते थे। और इसके बावजूद केस POCSO Act की धाराओं में चलता रहा और अंत में उसमें दोषी भी करार दिया गया। क्या तुमने अपनी किताब में कहीं ये सच भी लिखा है उसीनूर मजूमदार?*
* पूज्य बापूजी को Indian Penal Code 1860 की 3 धाराओं में उम्रकैद की सजा हुई। पहली IPC की धारा 370(4) जो Trafficking से सम्बंधित है। पर जब खुद लड़की और उसके माँ बाप ने अपनी गवाही में कहा कि लड़की अपने माँ बाप के साथ जोधपुर गई थी तो बताओ ये किस दृष्टिकोण से Trafficking हो गई? बाकी दो धाराएं है 376 (D) और 376 (2)(f). पर जब मेडिकल रिपोर्ट और FIR में बलात्कार की पुष्टि नहीं तो बताओ कैसे ये बलात्कार की दोनों धाराएं पूज्य बापूजी पर सिद्ध हुई? कितने ही गवाहों ने ये कहा कि संत आशाराम बापूजी उस समय सत्संग कर रहे थे, उसके फ़ोटो भी कोर्ट में सबूत के तौर पर दिए गए पर कोर्ट के लिए उनकी गवाही की कोई कीमत नहीं थी। उसीनूर मजूमदार क्या तुमने ये सच्चाई अपनी किताब में लिखी?*
* संत श्री आशाराम बापूजी को अंतर्राष्ट्रीय षड़यंत्र के तहत फँसाया गया क्योंकि वे हिन्दुत्व की मजबूत नींव है और उन्होंने ईसाई मिशनरियों के धर्मांतरण के गोरखधंधे का खुला विरोध किया। लाखों धर्मांतरित हुए हिंदुओं को वापिस हिन्दू बनाया जिससे वे ईसाई मिशनरियों की राह की सबसे बड़ी बाधा बने। इन्हीं ईसाई मिशनरियों ने पैसे के बल पर पहले इनको झूठे केस में फंसाया और फिर मीडिया द्वारा दिन रात झूठी खबर दिखाकर इनको बदनाम कराया ताकि इनके रस्ते की सबसे बड़ी बाधा दूर हो। वास्तव में ये उनको नहीं हिन्दुत्व को बदनाम करने की साजिश है। क्या तुमने ये भी अपनी किताब में लिखा है उसीनूर मजूमदार?*
* अभी हाल में 2 बहुत महत्वपूर्ण चीजें हुई। पहला पूज्य बापूजी के दिशानिर्देश पर विभिन्न आश्रमों द्वारा पूरे भारत मे दीवाली पर गरीबों और आदिवासियों के लिए भंडारों का आयोजन किया गया और साथ में मिठाई और दूसरी उपयोगी चीजें भी बांटी गई। दूसरा अभी 05 नवम्बर से 11 नवम्बर 2018 तक संत श्री आशाराम बापूजी आश्रम, अहमदबाद में बच्चों के लिए शिविर का आयोजन किया गया जिसमें भारत भर से हज़ारों बच्चों ने भाग लिया। हज़ारों बच्चों ने इस शिविर में आध्यात्मिक और नैतिक शिक्षा प्राप्त की और योग एवं ध्यान करना सीखा। भीड़ इतनी थी कि पैर रखने की जगह नहीं थी। क्या हज़ारों आदमी मूर्ख और तुम ठीक हो उसीनूर मजूमदार। क्या तुमने इन 2 महत्वपूर्ण चीजों का अपनी किताब में उल्लेख किया है?*
* उसीनूर मजूमदार तुमने खबर सुनी ही होगी कि मदरसों में देशविरोधी शिक्षा दी जा रही है, आतंक की पढ़ाई दी जा रही है। क्या ऐसे मौलवी तुम्हारे लिए पाप के देवता नहीं जो अपने ही देश के खिलाफ गद्दारी की शिक्षा दे रहे हैं। हलाला से लेकर तीन तलाक, लव जिहाद और मस्जिदों में औरतों की जाने की मनाही, क्या तुमको नहीं लगता कि इन विषयों पर आवाज़ उठाने की जरूरत है? क्या तुम्हारे लिए ये सब पाप नहीं है? अभी अभी 13 बार बलात्कार के आरोप में जमानत पर बाहर पादरी फ्रांको मुलक्कल तुम्हारे लिए महान इन्सान है क्या, उसको पाप का देवता क्यों नहीं बोला? ईसाई मिशनरियों वाले पैसे देकर गरीबों का धर्मांतरण कर रहे हैं, नाबालिग लड़कियों का बलात्कार कर रहे हैं, ननों का बलात्कार कर रहे हैं, क्या तुम्हारी नज़र में ये पाप नहीं है। एक पादरी खुलेआम महिला को चुम्बन करता है, उसका फ़ोटो भी शेयर करता है, क्या ये तुम्हारी नज़र में महान कार्य है? क्या धर्म के ऐसे ठेकेदार तुम्हारी नज़र में पाप के देवता नहीं है? क्या तुम इनके लिए भी कोई पाप के देवता या गुनाह के देवता शीर्षक की कोई किताब लिखोगे? तुम्हारी मानसिकता पर तरस आ रहा है उसीनूर मजूमदार। तुम अगर गौर से आँख खोलकर देखोगे तो पाओगे कि हिन्दू धर्म और संत बाकी धर्मो और उनके धर्मगुरुओं से लाख गुणा अच्छे हैं। क्या ये सब लिखना तुम्हारा कर्तव्य नहीं है उसीनूर?*
* अगर तुम्हारे अंदर सच लिखने की हिम्मत नहीं है उसीनूर मजूमदार तो लिखना छोड़ दो, अपनी कलम को आग लगा दो। जो लेखक समाज को भर्मित करें, सच्चाई छुपाए, उसे कोई हक नहीं है लेखन करने का। क्योंकि अगर तुम ईमानदारी से लेखक के कर्तव्य का निर्वाह नहीं कर सकते तो तुम्हारे और एक बेलगाम घोड़े में कोई फर्क नहीं रह जाता।*
* (तुम जैसे झूठ लिखने वालों लेखकों से व्यथित देश का एक नागरिक) *
Mr Ushinor doesn’t know facts and has tried to become a famous writer by his fake stories .The reality is that Narain Sai is totally innocent.The lady who made the fake charge on him was a captured in a photo standing with folded hands in front of Sai Ji’s car in 2013.She made allegations in 2013 about a so called incident in 2001 then why did she call her sister also to stay in the ashram in 2002? Why did both of them stayed in ashram till 2005 and 2006 respectively?
Truth will never change that Sant Shri Asaramji Bapu is one of the greatest Sant who did lot for mankind and still doing.
I think that “Ushinor Majumdar” is being funded by some agencies to write the book
But sadly the book has failed as people can clearly see that this is a sponsored propaganda.
Seems author of this book is also fooling the citizen the way paid media houses did, giving partial info about Asaram Bapu case